Thursday, July 4, 2019

4 easy way to make good habbit and remove bad habbit

अच्छी आदते और बुरी आदते हम सब में पायी जाती है , किसी में अच्छी आदते ज्यादा पाई जाती है किसी में बुरी आदते ज्यादा , जिस तरह की आदते होंगी उस तरह का इंसानी नेचर उस व्यक्ति का बन जाता है , जो उसके जीवन में आगे उसके लिए सफलता या बर्बादी का कारण बन जाती है | बुरी आदते अपने आप बन जाती है जबकि अच्छी आदत डलने में समय और कठिनाई लगता है , लोग आसान चीज़ो को जल्दी अपनाते है | यही वजह है की उनको डेली सुबह मॉर्निंग वाक जाने की आदत डालने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है | क्युकी अच्छी आदते देर से और समय के साथ बनती है | हर किसी को किताब पढ़ना अच्छा नहीं लगता है, सुबह जल्दी उठना अच्छा नहीं लगता है, व्यायाम से कतराते है | क्युकी ये सब अच्छी आदते हे इसलिए इनको अपनाने में समय और कठिनाई का सामना करना पड़ेगा लेकिन एक बार आदत डल जाने पर आपको आसान लगने लगेगा | आदते outcome based और identity based रहती है जैसे एक इंसान का कहना है की मै अब सिगरेट नहीं पियूँगा मैं सिगरेट छोड़ने की कोशीश कर रहा हु दूसरी तरफ एक इंसान का कहना है मैं सिगरेट नहीं पीता हु मैं  स्मोकर नहीं हु | दूसरे तरह की identity based ज्यादा प्रभावकारी रहती है | 
 अगर बुरी आदतों से छुटकारा पाना है तो आपको पुरानी पहचान छोड़ के नयी पहचान बनानी पड़ेगी , बार बार एक ही काम करने से हमारी एक पहचान बन जाती है जिससे हम लगाव करने लगते है और उसको छोड़ पाना मुश्किल हो जाने से हम बुरी आदत से छुटकारा पाने में दिक्कत आती है |  नयी पहचान बनाने के लीये आपको एक ही काम बार बार रिपीट करना पड़ेगा अगर आपको अच्छा स्पीकर बनना है तो डेली कुछ लोगो से बात करने की आदत आपको डालनी पड़ेगी हर दिन 1 प्रतिशत भी आप करेंगे तो कुछ समय बाद आपकी पहचान बदलने से आपकी नयी आदत बन जायगी जो आइडेंटिटी बेस्ड रहेगी | किसी भी आदत को बनने में 4 कारक मौजूद रहते है जिनमे से पहला है ट्रिगर दूसरा है इच्छा  तीसरा है एक्शन चौथा है फीलिंग | उदाहरण के लिए मोबाइल पर sms आने पर आपका दिमाग ट्रिगर करता है मोबाइल देखने के लिए , दूसरा है की आपकी इच्छा होती है जानने की किसका मेसेज होगा , तीसरा आप उस चीज़ को देखने के लिए एक्शन लेते है यानि मोबाइल उठाते है , चौथा है आपको मेसेज देखने के बाद एक फीलिंग आती है अच्छी या सम्पूर्णता की | इसी तरह से हमारी ये आदत बार बार रिपीट करने से बन जाती है , इन चार कारको में सब में किसी एक कारक को हटा दिया जाए तो वो आदत नहीं बनेगा उदहारण के लिए ट्रिगर अगर नहीं होगा तो आदत शुरू ही नहीं होगी, इच्छा कमज़ोर होगी तो आपको वो काम करने का मन ही नहीं करेगा , एक्शन को मुश्किल बना दो तो वो काम कठिन होने से काम पूरा नहीं होगा, फीलिंग अगर एन्जॉय नहीं दे पाई तब भी वो आदत नहीं बन पाएगी | इन चार कारको से ही कोई भी अच्छी आदत बनती है और इन चार कारको का ही इस्तेमाल घटा के कोई भी आदत तोड़ी जा सकती है | अगर आपको बुरी आदत जैसे मोबाइल के बार बार इस्तेमाल से छुटकारा पाना है तो ट्रिगर को गायब कर दो यानि मोबाइल अपनी आँखों के सामने से हटा कर दूर लाकर में रख दो , दूसरा इच्छा को कमज़ोर बना दो जैसे की आप सोचते है आज तक व्हाट्सअप इंस्टाग्राम चलाने से क्या मिला कभी कुछ अच्छा नहीं मिलता है, तीसरा एक्शन को कठिन बनाने के लिए मोबाइल पासवर्ड कठिन बना दो जिसको आपको टाइप करने में समय और कठिनाई लगे, चौथा फीलिंग को आप  हटाने के लिए आप उसमे से इंस्टाग्राम व्हाट्सप्प डिलीट कर सकते है जिससे आपका बार बार मन नहीं करेगा फोन देखने का | और इस तरह आप मोबाइल देखने की बार बार बुरी आदत से छुटकारा मिल जायगा | ठीक ये ही चार कारक का इस्तेमाल करके आप अच्छी आदत बना सकते है उदाहरण के लिए आपको किताब पढ़ने की आदत डालनी है तो आप ट्रिगर को आसान कर दो यानि किताब अपनी आँखों के सामने रख दो जिससे आपको वो किताब बार बार दिखती रहे, दूसरा इच्छा को आसान बनाओ उसमे बुकमार्क या पेज मोड़ कर रख सकते जिससे आपने जंहा ख़तम की वही से शुरू कर सके , तीसरा एक्शन को सरल बनाओ ताकि आपको किताब उठाने रखने में दिक्कत महसूस न हो और आसानी से आप किताब तक पहुँच सके , चौथा फीलिंग को satisfy बनाये जिससे आपको सम्पूर्णता का अहसास हो और आप वो काम दुबारा करने के लिए प्रेरित हो | इस तरह बार बार किये जाने से हमारे अंदर वो आदत बनने लगती है | हम वो आदतों को अपनाते है जिनको हम आस पास जैसे दोस्त रिस्तेदार समाज में या बहुत लोगो को या पावरफुल लोगो को करते देखते है | आपको आदत शुरू करने या ख़तम करने के लिए मोटिवेशनल की जरुरत नहीं पड़ती है वातावरण की ज्यादा जरुरत पड़ती है | कुछ लोगो अपने कमरे में रोज टीवी देखते है और टीवी देखने की आदत से छुटकारा नहीं पाते है जबकि कुछ लोग अपने कमरे से टीवी ही हटा देते है | क्युकी मोटिवेशन से ज्यादा वातावरण ज्यादा असर करता है | मोटिवेशन के बजाय आप आदत को वातावरण से जल्दी बना सकते है, बीमा कंपनी के एक एम्प्लोयी ने अपने डिब्बे में 120 पिन रखी हुई थी दूसरे डिब्बे को खाली रखा हुआ था , वो हर बार एक क्लाइंट को फोन करने करने बाद एक पिन डब्बे से निकाल के दूसरे खाली डिब्बे में डाल देता था और वो यह काम तब तक करता जब तक डिब्बे की सारी पिन दूसरे खाली डिब्बे से न भर जाए | और उसने इस चीज़ को अपने आदत में शुमार करके जल्द ही 10  साल के अंदर मिलिनायर की श्रेणी में पहुंच गया | हमेशा अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने की कोशिस करे और हर दिन 1 प्रतिशत इम्प्रूव करे जल्द ही आप 100 प्रतिशत इम्प्रूव करके खुद को बदल देंगे | कठिन काम को एक दिन में करने की कोशिस न करे उसको हर दिन थोड़ा  करने की आदत डाले | हर दिन एक ही काम करना बोरियत भरा हो सकता है लेकिन बहुत पावरफुल लोग इसी तकनीक का इस्तेमाल करके पावरफुल बने है | आप भी अपनी आदतों को बना कर धीरे धीरे हर दिन थोड़ा इम्प्रूव करके जल्द ही मन चाहे मुकाम तक पहुँच सकते है |

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