Monday, July 1, 2019

belief system

बिलीफ़ सिस्टम या कहे तो इंसानी ऑपरेटिंग सिस्टम ठीक जैसे अलग अलग मोबाइल में अलग अलग ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे एंड्राइड, आई ओ एस , विंडोज रहते है और उनके अंदर काम करने वाले सॉफ्टवेयर की कोडिंग अलग रहती है  जिस वजह से वो सॉफ्टवेयर दूसरे ऑपरेटिंग सिस्टम में काम नहीं कर सकता है जब तक उसका ऑपरेटिंग सिस्टम का कोड नहीं बदला जायगा , ठीक वैसे ही हर इंसान का बिलीफ सिस्टम अलग होता है और बहुत तरह का हो सकता है , हर घटना हर विचार का मतलब लोग अपने बिलीफ सिस्टम के अनुसार अपने अंदर लेते है, जिस तरह एक बॉस अगर 5 कर्मचारियों को एक ही वजह से डांट रहा है पर उन 5 कर्मचारियों पर उसका अलग अलग असर होगा किसी के मन में आएगा मेरा बॉस हमेसा मुझसे ही बोलता है, किसी के मन में आएगा मेरा बॉस  वजह से बाकी लोगो को डांट रहा है, किसी के मन में आएगा बॉस की गलती है और डांट मुझे पड़ रही है | घटना एक ही है बॉस एक ही है बॉस जो कह रहा है वो भी एक ही है लेकिन उसका प्रभाव अलग अलग पड़ रहा है, क्युकी हर इंसान का ऑपरेटिंग सिस्टम यानि बिलीफ सिस्टम अलग अलग है इसलिए | किसी को सबके सामने डांस करने में कोई प्रॉब्लम नहीं होती जबकि कोई किसी से अपनी बात कहने में भी हिचकिचाता है, अगर उन दोनों को एक ही तरह का मोटिवेशन दिया जाये तो उसका असर एक पे अच्छा पड़ेगा दूसरे पे कम असर होगा क्युकी दोनों को सॉफ्टवेयर एक ही दिया जा रहा है पर उसको ग्रहण करने वाला जो ऑपरेटिंग सिस्टम है वो अलग अलग है | अगर दूसरा व्यक्ति अपना ऑपरेटिंग सिस्टम यानि बिलीफ सिस्टम बदल दे और वैसा कर दे जैसा डांस करने वाले का है तो वह भी उसकी तरह ही डांस करने में हिचकिचाएगा नहीं | हमारे बिलीफ सिस्टम या उसकी कोई एक फाइल्स किसी तरह से ख़राब हुई पड़ी रहती है जब तक वो ठीक नहीं होगी तब तक आगे नहीं बढ़ा जा सकता है, वो फाइल्स खराब हमारे नेगेटिव विचार या दोस्तो या फॅमिली के विचार या किसी घटना से खराब हुई पड़ी रहती है | हम अपनी वो फाइल्स को ठीक करके उसके बारे में अंदर तक जा कर उसको बदल सकते है एक बार बदल जाने पर आप ठीक उसी व्यक्ति की तरह बिना हिचकिचाहट डांस आसानी से कर सकते है | चाहे आपको मंच पे स्पीच देने में प्रॉब्लम हो, चाहे तैरने में डर लगता हो चाहे शादी के नाम से डर लगता हो, ये सब खराब फाइल्स को आप ठीक कर सकते है और इन सबसे उबर कर ऊपर आ सकते है | हर वह चीज़ जो आप सोचते है की सामने वाला  कैसे कर रहा है वह सब हर चीज़ आपके लिए भी संभव है | अपने अंदर उठने वाले ख़राब फाइल्स के विचार को जानने की कोशिश कीजिये और समझिये की आखिर प्रॉब्लम कंहा से है , क्या किसी घटना का असर है या किसी के नेगेटिव विचार का असर या आपने अपनी सीमाएं खुद बना ली है | समस्या की जड़ तक जाकर आप उन सब तमाम ख़राब फाइल्स को बदल कर अपना ऑपरेटिंग सिस्टम बदल लीजिये जब आपका बिलीफ सिस्टम बदल जायगा तब आप के विचार आपको सपोर्ट करेंगे किसी भी तरह के नेगेटिव विचार से आपकी रक्षा करेंगे और निराशा में आपकी मदद करेंगे , आपको कामयाब आदमी का बिलीफ सिस्टम अपनाने की जरुरत है न की असफल व्यक्ति के बिलीफ सिस्टम की , आपके आस पास के लोग आपके ऑपरेटिंग सिस्टम में बिना मतलब की गैर जरुरी नेगेटिव फाइल्स भर के उनको वायरस से भरते रहते है ऐसे लोगो से दूर रहे है, क्युकी एक बार वो फाइल्स बहुत ज्यादा इकठी हो जाती है तो उनका वायरस दूर करने में उससे ज्यादा समय लग जाता है |  एक जैसे पंख वाले पक्षी एक साथ रहते है | सफल लोगो के बिलीफ सिस्टम एक जैसे रहते है और असफल लोगो के एक जैसे | ये आप पर निर्भर करता है आप किस तरह का अपनाते है | अगर बाज बनना है तो मुर्गियों के बीच रह कर नहीं बन सकते |

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