Thursday, July 4, 2019

emotional based decision

हर इंसान में दिमाग के दो हिस्से पाए जाते है एक हिस्सा लॉजिक वाला दूसरा हिस्सा भावनाओ वाला , लॉजिक वाला हिस्सा concious mind और भावनाओ वाला हिस्सा subconcious mind कहलाता है, जिनका लॉजिक दिमाग ज्यादा मजबूत रहता है वो लोग गणित, फैक्ट्स, तथ्य, तर्क वितर्क, कैलकुलेशन तरह की चीज़ो में मजबूत रहते है ऐसे लोग वकील डॉक्टर साइंटिस्ट या कैलकुलेशन फील्ड में ज्यादा रूचि रखते है, दूसरे तरह के वो लोग होते है जो दिमाग की कल्पना शक्ति का इस्तेमाल ज्यादा करते है ऐसे लोग सिंगिंग , पेंटिंग, डांसिंग जैसे फील्ड में ज्यादा रूचि रखते है, हर इंसान लॉजिक और भावनाओ दोनों का इस्तेमाल करके निर्णय लेता है की उसे आगे क्या करना है लेकिन एक रिसर्च के मुताबिक 80 प्रतिशत से ज्यादा समय इंसान अपने भावनाओ से निर्णय लेता है , उसकी आदते उसके सोचने का तरीका उसका रहन सहन उसकी भावनाय उसके फैसले पे असर डालती है, इंसानी भावनाये कभी भी स्थिर नहीं रहती समय के साथ इंसानी भावनाये एक दिन में कई बार बदलती रहती है | अगर किसी ने सोचा है अगले दिन मै सुबह उठ कर डेली वॉक पे जाऊंगा तो उस वक़्त के लिए उसको लगेगा मेरा फैसला अटल रहेगा क्युकी उस वक़्त उसके दिमाग में भावनाये अलग है जो फैसले लेने में उसको प्रेरित करते है लेकिन अगली सुबह अगर आपको लगता है आपकी नींद पूरी नहीं हुई तो सबसे पहले आप यही सोचेंगे की आज से जल्दी सो जाऊंगा कल उठ कर डेली जाऊंगा , और ऐसा हर रोज होता है, चूँकि जब आप सुबह उठे आपकी भावनाये अलग थी इसलिए आपने उस वक़्त का फैसला लिआ | पिछले दिन भावनाये अलग थी इसलिए उस वक़्त अलग फैसला लिया। फैसला आप स्थिर कर सकते है लेकिन भावनाये नहीं|  चूँकि आपने फैसले भावनाओ से लिए थे इसलिए एक वक़्त पे आपको अपने फैसले पे अटल रहने में मुश्किल आएगी क्युकी आप अपनी भावनाये स्थिर नहीं कर सकते अनंत समय तक , यही वजह है की मोटिवेशनल वीडियो या किसी के द्वारा inspire किये जाने  पर  हम उस वक़्त के लिये ऊर्जा भर लेते है लेकिन कुछ समय बाद वो ऊर्जा गायब हो जाती है , और इस तरह एक के बाद एक मोटिवेशनल वीडियो हम देखते रहते है और सोचते है के ये वीडियो असर नहीं करती है | इंसानी दिमाग भावनाओ से ज्यादा असर करता है इसलिए टीवी एड्स मॉल सिनेमा इन सब में आपकी भावनाओ का इस्तेमाल करके आपको मजबूर किया जाता है वो प्रोडक्ट खरीदने पे और हमें लगता है प्रोडक्ट खरीदने का फैसला हमारे द्वारा लिया गया है | भावनाओ में लिए गए फैसले गलत हो सकते है लेकिन लॉजिक से लिए फैसले कम गलत होते है , अगर आपने लॉजिक से फैसला लिया है आप उस फैसले पे अटल रह सकते है | अगर आज आपने किसी से वर्तमान भावना को मद्देनज़र रख के कोई ऐसा फैसला लिया है जो आपको भविष्य में निभाना है तो आप भविष्य में वो समय आने पर अपनी बात से पलट जायँगे या उस वक़्त उस कमिटमेंट को बदल देंगे | तलाक की सबसे बड़ी वजह भी यही होती है , क्युकी उस वक़्त भावनाओ में फैसले लिए थे बाद में वो फैसले पे अटल नहीं रहने से रिश्ते में दरार आ जाती है, इसके अलावा हम मोटिवेशनल वीडियो देख कर या किसी के द्वारा inspire  करने पर हम सोचते है की हमको इतने घंटे पढ़ना है डेली पढूंगा पर अगले दिन सारी ऊर्जा गायब और वापस हम इंस्टाग्राम व्हाट्सप्प फेसबुक पे व्यस्त हो जाते है | इंसानी दिमाग वर्तमान की भावनाओ से भविष्य का निर्माण करने लगता है जो की पूरी तरह निराधार है , किसी रात आप दुखी होते है और सोचते है मेरी ज़िन्दगी अच्छी नहीं गुज़र रही पता नहीं क्या होगा | परिवार में कोई छोटा बच्चा पढ़ने में कमज़ोर है तो परिवार के लोग उसपे उस वक़्त के हालात के अनुसार उसको नालायक, कुछ नहीं कर सकता , कुछ नहीं होगा इसका, कुछ नहीं बन पाएगा, इन नामों का ठप्पा लगा देते है , क्युकी परिवार वाले भी वर्तमान स्थिति की भावनाओ से फैसले ले रहे है जो की गलत है | किसी की भी वर्तमान स्थिति या वर्तमान भावनाओ से हम उसके भविष्य तय नहीं कर सकते | किसी ने सच कहा है की इंसान को खुश होकर कोई वादा नहीं करना चाहिए और दुखी होकर कोई फैसला नहीं लेना चाहिए और ग़ुस्से में कोई एक्शन नहीं लेना चाहिए | क्युकी ये तीनो उस वक़्त के सिर्फ फीलिंग मात्र है जो अगले दिन ख़तम हो जाएँगी लेकिन फैसला आपके लिए पछतावे का कारण बन जायगा भविष्य के लिए |  चाहे रिश्ते हो , करियर हो , व्यापर हो , जॉब हो, आप जो भी फैसला ले उसमे उस वक़्त की temporary feeling न हो इस बात का ध्यान रख के फैसले ले | क्युकी भावनाये बदल सकती है फैसले नहीं |

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